भूख
विषय / उन्वान ? #भूख
विधा ?..छंद मुक्त (कविता)
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भूख
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भूख और भगवान का भैया गहरा नाता।
बिना भुख समझेगा कैसे कौन विधाता।।
भूख कही है धन दौलत की,
कही भूख सम्मान की।
भूखा है कोई क्षुधा के कारण,
भूख बड़ा बेइमान की।
इसी भूख के कारण खुल गया पाप का खाता।
भूख और भगवान का भैया गहरा नाता।।
कही भूख से बालक,
सूखा स्तन चूसे।
बिलख – बिलख सो जाता,
किससे क्या वह पूछे।
यही भूख है ममता को आहत कर जता।
भूख और भगवान का भैया गहरा नाता।।
भूख के कारण याचक,
मंदिर को जाता है।
मन चाहा फल पाने को
वह ललचाता है।
भूख बिना इंसान कहा ईश्वर गुण गाता।
भूख और भगवान का भैया गहरा नाता।।
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✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
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पूर्णतया मौलिक, स्वरचित, स्वप्रमाणित, अप्रकाशित
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मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार