भूख
शीर्षक – भूख
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सच तो जीवन में भूख है।
हमारी जीवन जिंदगी है।
भूख ही तो हमारे साथ हैं।
आज कल बरसों भूख हैं।
भूख से ही हम सब मरते हैं।
न सोचो कल का भूख आज हैं।
भूख ही तो हमारे मन भाव हैं।
पेट न हो तब भूख कान ख्याल हैं।
सच तो यही बस भूख लगी हैं।
सोचो दो रोटी की भूख लगी हैंं।
जीवन और मृत्यु की सोच बनीं हैं।
सच तो जिंदगी में हमेशा भूख लगी हैंं।
आओ हम सच समझे भूख लगी हैंं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र