भूख
विषय – भूख
जुलाई का महीना जब स्कूल खुला सभी बच्चे स्कूल आने लगे।मुनिया भी स्कूल आई।कक्षा आठवीं में पढ़ रही थी। शिक्षा सत्र का प्रारंभ था।सभी बच्चे के चेहरे में हँसी बहुत ही सुंदर लगता था।शिक्षक सभी बच्चें को बहुत प्यार करते थे।मास्टर जी ने कक्षा में प्रवेश किया और हाजिरी लेने लगा।सभी बच्चों की हाजिरी नाम पुकार कर लिया।जब मुनिया की बारी आई उपस्थिति के दौरान जब मुनिया खड़ी हुई तो मास्टर जी ने देखा।उनके कपड़े फटे पुराने थे। मास्टर जी ने अलमारी से निकालकर तुरन्त नया ड्रेस दिया मुनिया खुश हो गई और दूसरे दिन से मुनिया काफी खुश थी पढ़ रही थी।बच्चों के साथ-साथ खूब पड़ती खेलती थी।दो माह बीत जाने के बाद मुनिया की माता पिता ने उसे ईट भठ्ठे ले गया ।काफी दिन हो गया मुनिया स्कूल नही आयी।तब मास्टर जी ने पूछा मुनिया कैसे नहीं आ रही है।बच्चों ने बताया कि मुनिया तो काम करने के लिए बाहर चली गई हैं। क्या करते गरीबी की स्थिति में मुनिया के माता-पिता ने अपना जीवन-यापन,पालन-पोषण करने के लिए दूसरे राज्य पलायन के लिए चले गए।उसी दौरान दुनिया में एक ऐसी महमारी कोरोना वायरस पूरे विश्व में फैल गया।और चीन, फ्रांस,इटली,जापान,अमरीका एवं अन्य देश के लाखों लोग मर गए।इसी बीच भारत में भी यह बीमारी दस्तक दी। भारत के प्रधानमंत्री ने भारत को लॉक डाउन कर दिया।इसी लाक डाउन में फँस गए मुनिया की परिवार।जब उसे घर वापसी के लिए कोई साधन ना मिला तो भूखे प्यासे पैदल आने में मजबूर हो गये।10दिन तक सफर करके रुक रुककर रुक-रुककर वापस आने के लिए पैदल चले।इस दौरान उन्होंने उस गरीबी को बारीकी से महसूस किया।दो वक्त की रोटी के लिए तरसते थे।माँ कभी पानी पीकर उपवास रखकर चलते।रास्ते में कोई खाना दे देता उसको खा लेते ऐसे करते-करते मुनिया की परिवार अपने घर वापसी हुए।मुनिया ने अपने पिताजी से बोला पिताजी मैं पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनूँगी तो आप लोगों को काम नहीं करना पड़ेगा।मुझे काम करने के लिए मत लाइए मुझे छोड़ दीजिएगा मैं स्कूल में पढ़ना चाहती हूँ।मुनिया की बात सुनकर उसके माता-पिता की आँख में आँसू आ गए।
लेखक – डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभावना(छत्तीसगढ़)
मो. 8120587822