भूख से वहां इंसा मर रहा है।
अपने ही हालात पे रो रहा है।
एक मुल्क बरबाद हो रहा है।।1।।
गुनाहो पर गुनाह उसने किए।
खुद को जो पाक कह रहा है।।2।।
झूठी शान में वो जी रहा था।
उसपर ये जमाना हंस रहा है।।3।।
हमदर्द ना कोई उसका रहा।
सभी का वो साथ खो रहा है।।4।।
आतंक की लगायी आग में।
आज वो खुद ही जल रहा है।।5।।
कुछ जनाजे उठे देखे हमनें।
भूख से वहां इंसा मर रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ