भूखे हैं कुछ लोग !
भूखे हैं कुछ लोग
देश, समाज के
पहिचान, स्वाभिमान
बचाने के जुनून मे
परन्तु भावनाओं के
गहरे दहलीज पर
दिगभ्रमित करनेवाला भीड
गला उसके रेटती है ।
भूखे है कुछ लोग
अपनी, सिर्फ अपने
प्रचार, विचार
प्रवाहित करने के अंधता मे
आत्मकेन्द्रितविमूढ
पदीय गरिमा भूलकर
प्रचाररति के आत्मरति मे
गला वह खूद रेटती है ।
भूखे हैं कुछ लोग
खूद की व्यापार
चमकाने, धन कमाने मे
नैतिकता को सुलि चढा
शहिदों के खून भी
पिने को उतारू वह
अपने कालेकुर्तूत मिटाने
आमजनों की भावना का गला रेटती है ।
#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल) #Hindi_Poetry #हिन्दी_कविता