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10 Apr 2020 · 1 min read

भूखा

भूखा सर को उठाए भी तो कहां ये अपने हाल पे रोता है
कानों में तेल डाले बैठे सिस्टम अपने खाट पे सोता है

कोई जात को रोता है कोई पात को रोता है
भूखा तो दिन रात पेट से भात को रोता है

दाना कोई हस के देता है कोई चिढ़ के देता है
बस पेट के खातिर भूखा अपनी अस्मत को खोता है

~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 436 Views
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