भुला कर हर बात
भुला कर हर बात
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अब से पहले तक जो हुआ
अच्छा या खराब जैसा हुआ
भूल जाइए, और आगे बढ़िया
जो हो चुका है वह बदल नहीं सकता
आपके सिर पटकने से भी तो वो पलट नहीं सकता
फिर उसी में उलझे रहने या सोच विचार करने से
भला क्या अच्छा हो जाएगा
बिल्कुल नहीं!
बल्कि जो अच्छा होने वाला भी है
वो भी बिगड़ सकता है
अनावश्यक दर्द दे सकता है
आपकी चिंता बढ़ा सकता है
प्रगति की राह में रोड़े खड़ा कर सकता है।
इसलिए नये सिरे से आगे बढ़िये
आने वाले समय और अवसर का
खुले मन से स्वागत कीजिए
और चलिए अपने कर्तव्य की राह पर
भुला कर हर बात
कि सफल या असफल होंगे
लाभ में रहेंगे या हानि उठायेंगे
क्योंकि ये तो अभी समय के गर्भ में
आप आज ही भला कैसे जान पायेंगे?
तब क्या बीती बातों और समय का रोना रोकेंगे?
या नव विश्वास के साथ आगे कदम बढ़ाएंगे?
या बीती बातों में उलझे रह जाएंगे?
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित