भुट्टे की शाम !
भुट्टे की
शाम।
खास मित्र के
साथ,
टप टप
करती
बारिश
की बूंदों के
साथ
कहाँ लगते
इसके आगे
महंगे ,
बड़े-बड़े
जाम,
भुट्टे की
शाम।
वो सड़क
के किनारे
त्रिपाल के
सहारे, एक
आदमी था
गरम ,गरम
भुट्टों के
साथ
हमने रोकी
बाइक,
सोचा
खाकर भुट्टे
करलें
थोड़ा विश्राम
भुट्टे की
शाम।
वो गरम-गरम ,
नमक,
मिर्च ,निम्बू
के साथ,
गजब
स्वाद,
दांत
चबाते दाना
न करते
आराम,
भुट्टे की
शाम।
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा