Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2023 · 3 min read

भीष्म प्रतिज्ञा

भीष्म प्रतिज्ञा
*******
ये भीष्म प्रतिज्ञा जैसा ही तो लगता है
मिट्टी में मिला दूंगा संवाद
जैसे मां सरस्वती की इच्छा से ही निकला था।
फिर तो सब कुछ ठीक वैसे ही चल रहा है
जिसके लिए कहा गया
वो मिट्टी में मिलने लगा और मिलता ही जा रहा है
जिसे वो भी स्वीकार कर रहा है,
मिट्टी में तो मिल गया खुद बयान कर रहा है
उससे जुड़ा हर शख्स भी हलकान हो रहा है
उसके माफिया राज का तंबू उखड़ गया है
परिवार बिखर गया, उसके गुर्गों का हाल मत पूछो
बीबी, बेटा, बहन, बहनोई, कुछ रिश्तेदार भी
मुंह छिपाए भागेभागे फिर रहे हैं
या जेल की रोटियां तोड़ रहे हैं।
हालत ये है कि कल तक जिसकी तूती बोलती थी
शासन, सत्ता में भी जिसकी हनक थी
जिसके इर्द गिर्द जमघट होता था
जो जेल में भी रहकर अपराध की नींव रख देता था
यूं ही वो माफिया डॉन थोड़े ही कहलाता था
सब कुछ करीने से मनमर्जी से ही करवा लेता था।
जेल में भी उसका जलवा बरकरार था
वहां भी वो गिड़गिड़ाता नहीं, हुक्म चलाता था
अपहरण, हत्या कराता, रंगदारी मंगवा लेता था
जिसे चाहा पकड़वा लेता
जेल में बुलाकर पिटवा ही नहीं पीट भी देता था
जबरन किसी की भी संपत्ति
अपने या अपने बीबी बच्चों के नाम करवा लेता था।
जिसने उससे बैर ठाना,
उसका काम तमाम करवा देता था,
कुछ सिरफिरे ही उससे बैर ठान पाते
बदले में मिला क्या बस अपनी जान ही गंवाए।
सौभाग्य से कुछ ही बच पाये।
मगर अब हालात एक दम उलट है
दबंग माफिया अपराधी धर धर कांप रहा है
उसे अब अपनी मौत का डर सता रहा है
मिट्टी में मिल गया वो खुद कह रहा है
अपराधी बीबी बच्चों के लिए रहम की भीख मांग रहा है
खुद भीगी बिल्ली बन गया है
मिट्टी में मिलाने के बाद अब उसे रगड़ा जा रहा है
तभी तो ये बात खुद कह रहा है
अपने जुर्मों की ही तो कथा व्यथा मान रहा है
भीष्म प्रतिज्ञा के लिए उकसाने के लिए
नासमझ नेताजी को पानी पी पीकर कोस रहा है
जेल में रहना ही अपने लिए सबसे मुफीद माना रहा है,
मन ही मन ऊपर वाले का भी दोष दे रहा है
शातिर दिमाग का दिमाग नहीं काम कर रहा है
या कोई नई चाल चलने का माहौल बना रहा है
सबको गुमराह कर रहा है
क्योंकि उसके शातिरदिमाग का कीड़ा
भला शांत कहां रहने वाला?
कुलबुलाते हुए बस मन मसोस कर अभी रह रहा है
काटने के सही समय का इंतजार कर रहा है
पर उसे भी पता है अब ये लगभग नामुमकिन है
पर वो ये मानने को तैयार नहीं है
सिर्फ गुमराह कर भोला बनने का नाटक कर रहा है।
एक जेल से दूसरी जेल यात्रा काफिले के साथ कर रहा है
अपनी हनक का अभी भी सबूत दे रहा है,
सरकारी धन को चूना लगवा रहा है,
अपना नाम का सिक्का चमका रहा है,
भीष्म प्रतिज्ञा की पूर्णता का इंतजार कर रहा है
और ऊपर वाले को याद कर रहा है
अपने एक एक जुर्म को गिन रहा है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

1 Like · 211 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फगुनाई मन-वाटिका,
फगुनाई मन-वाटिका,
Rashmi Sanjay
हर शख्स माहिर है.
हर शख्स माहिर है.
Radhakishan R. Mundhra
एहसास
एहसास
Kanchan Khanna
रिश्ता
रिश्ता
अखिलेश 'अखिल'
गणपति अभिनंदन
गणपति अभिनंदन
Shyam Sundar Subramanian
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
2399.पूर्णिका
2399.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अखंड भारत
अखंड भारत
कार्तिक नितिन शर्मा
ठगी
ठगी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
बुंदेली चौकड़िया
बुंदेली चौकड़िया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा
"स्वप्न".........
Kailash singh
एकता
एकता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
श्रीराम मंगल गीत।
श्रीराम मंगल गीत।
Acharya Rama Nand Mandal
कौन यहाँ पढ़ने वाला है
कौन यहाँ पढ़ने वाला है
Shweta Soni
******* प्रेम और दोस्ती *******
******* प्रेम और दोस्ती *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*संस्कारों की दात्री*
*संस्कारों की दात्री*
Poonam Matia
सहधर्मनी
सहधर्मनी
Bodhisatva kastooriya
वक़्त की फ़ितरत को
वक़्त की फ़ितरत को
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम
प्रेम
Sanjay ' शून्य'
हवाएँ
हवाएँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय प्रभात*
“ कौन सुनेगा ?”
“ कौन सुनेगा ?”
DrLakshman Jha Parimal
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
बुंदेली (दमदार दुमदार ) दोहे
Subhash Singhai
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
Taj Mohammad
*जहॉं पर हारना तय था, वहॉं हम जीत जाते हैं (हिंदी गजल)*
*जहॉं पर हारना तय था, वहॉं हम जीत जाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*हैं जिनके पास अपने*,
*हैं जिनके पास अपने*,
Rituraj shivem verma
खिचड़ी
खिचड़ी
Satish Srijan
Loading...