भीम पौत्र अंजनपर्वा
सुनाता हूँ गाथा एक वीर की,
कुरुक्षेत्र में हुए बलिदान की,
चन्द्रवंश का था यह चंद्र,
देख वीरता तारीफ करे इंद्र,
भूरिश्रवा का जब सुना मरण हाल,
अश्वत्थामा हुआ बड़ा बेहाल ,
किया युद्ध बड़ा ही भारी,
पांडव सेना गई अब हारी,
आया सम्मुख अब घटोत्कच,
कौरवो में उठा हाहाकार मच,
अश्वत्थामा ने संभाला मोर्चा,
अब क्या होगा चहुँओर थी चर्चा,
आ गया लड़ने वीर घटोत्कच सुत,
हुआ युद्ध भारी एक ओर था द्रोण सुत,
अंजनपर्वा ने दिखाई अपनी माया,
बहुत ही विशाल की अपनी काया,
अश्वत्थामा को आया बड़ा क्रोध,
देख सब डरे इसका रूप रौद्र,
काट डाली सारी माया मणिधारी ने,
कैसे करवाया महाभारत युद्ध नारी ने,
कृपिनन्दन का देखने लायक था युद्घ,
भीम पौत्र भी था बड़ा क्रुद्ध,
अंजनपर्वा का हुआ आज मरण,
भारद्वाज पौत्र ने किए प्राण हरण,
वीरो के लहू से रक्त है माटी कुरुक्षेत्र की,
कितनी माताए रोइ होगी कर याद पुत्र की ,
यह समर है मान का अपमान का,
अधर्मियों के नाश का धर्म के सम्मान का,
।।।जेपीएल।।