“भीमसार”
कविता का नाम- “भीमसार”
तन में भीम, मन में भीम,
मिट्टी के कण कण में भीम।
भीम हमारी शान है।
भीम हमारा मान है।
देश का सम्मान है।
भीम हमारा नारा है।
भीम आंखों का तारा है।
भीम दुनिया को प्यारा है।
भीम ने हमको मान दिया।
पिछड़ों को सम्मान दिया।
महिलाओं पिछड़ों के खातिर,
पद भी अपना त्याग दिया।
सहा दुख, परेशानियां उठाई।
मेहनत से की पढ़ाई।
विदेशों से डिग्रियां पाई।
जातिवाद से की लड़ाई।
सतत संघर्ष नहीं छोड़ा।
पुत्रों से नाता तोड़ा।
सुख न दे पाए अपनों को भी,
सब जन से नाता जोड़ा।
कोई जुबान न खोलो कुछ भी,
दिया सबको थोड़ा थोड़ा।
मजदूरों की जान हैं भीम।
दलितों के भगवान हैं, भीम।
हर जन के समान हैं, भीम।
नॉलेज ऑफ सिंबल हैं, भीम।
आरबीआई के दाता भीम।
सब जन के विधाता भीम।
दुनिया के विख्याता भीम।
महिलाओं को हक दिलाया।
गले से मटका हटवाया।
कमर से झाडू हटवाया।
सबको समान हक दिलाया।
पढ़ने को स्कूल खुलवाया।
बांधों पर प्रोजेक्ट बनाया।
तकनीकी शिक्षा को बढ़ाया।
आरक्षण हम को दिलवाया।
ज्ञान को आधार बनाया।
मनुस्मृति चौराहे जलाया।
जड़ से छुआछूत मिटाया।
सभी के लिए काम किया।
ना बदले में दाम लिया।
अमिट अनोखा काम किया।
दे गए हमको ऐसी सीख।
पढ़ो लिखो ना मांगों भीख।
ले लो साहब से ऐसी सीख।
शान से जियो न झुकाओ शीश।
मजदूरी का समय घटाया।
प्रसव अवकाश भी दिलवाया।
मालिक मजदूर बात कर सकें।
ऐसा एक विधान बनाया।
सुख दिया, खुद कष्ट उठाया।
शिक्षित बनो, संगठित रहो,
मिलकर सब संघर्ष करो।
आपस में तुम प्यार करो।
मेहनत दिन और रात करो।
झूठा ना प्रचार करो।
कभी ना आंखें चार करो।
मधुर मीठा व्यवहार करो।
बाबा साहब को जानने हेतु,
पोयम “भीमसार” पढ़ो।
बेजानों को जान दिया।
गूंगो को जुबान दिया।
दुनिया में पहचान दिया।
बौद्ध धर्म का सार दिया।
प्राणों का बलिदान दिया।
आज देश चलता है, जिसके बल पर,
ऐसा सफल सविधान दिया।
नमन है, इनको बारंबार।
हजार नहीं करोड़ों बार।
झूठ नहीं सच्चाई है, यार।
पढ़कर लिखा है, इतना सार।
दुष्यन्त कुमार की सुन लो यार।
सब जन से है, यही पुकार।
भीमराव का पढ़ लो सार।
सब जन से है, यही अनुरोध।
सच्चाई यही है, ना करो विरोध।
हे !महामानव तेरे कार्यों को,
शब्दों में बयां न कर पाऊं।
पूरे जीवन लिखूं भी तो,
उपकार तेरे न ले लिख पाऊं।
जानों तुम इतिहास अपना।
महापुरुषों का सार पढ़ो।
शिक्षा को आधार बनाओ।
अपना भविष्य खुद गढ़ों।
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कवि- दुष्यन्त कुमार