भीतर का तूफान
क्या तेजी दिखाए यह तुफान ?
कितना नुकसान करेगा अपने क्रोध से?
झकझोर दे बेशक, जीवन की सुगमता
हिला दे धरती वृक्षो की, जमी जडे
उठा के पटक दे, मछलियो को
ताल से सडक पर
मजबूर कर दे निडर पशुओ को
दुबक सहम जाने के लिए
चींटी, चूहो, सापों को
अपने घर से बेघर हो जाने के लिए
अपने यौवन मे फल और फूल को
आकस्मिक मौत पाने मे
वो उतना विनाशी कभी नही हो सकता
जो उपजता है इंसा मन के झंझावात से
लालच, कुठा और अभिमान के सैलाब से
जिसका वेग उठाने को कर देता है मजबूर
करने को कत्ल, विस्फोट और युद्ध
नही पसीजता पूरे समाज, संस्कृति के समूल नाश को
रखना ही होगा इंसा को अपने भीतर के तूफान को
भीतर ही कैद करने का जतन
क्योंकि बाहर का तूफान तो कुछ देर ही
तांडव कर शांत हो जाएगा
पर भीतर का तूफान अस्त व्यस्त कर देगा सदा के लिए
अपने साथ अपने पूरे परिवेश को
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर