*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
भीड बहुत है लोग नहीं दिखते
शहर में भीड बहुत है लोग नहीं दिखते ,
बात शुक्र गुजारी की हो कुछ नहीं लिखते…
कदम बढ़ाते हैं सिर्फ अपनी मंजिल को ,
किसी सीढ़ी पर दुआ का फूल नहीं रखते …
सोये रहते हैं तूफान क्यूँ ना आ जाये ,
जब खुद भूख नहीं लगती ,वो नहीं जगते …
अभी मुद्दा हो धर्म का या नफरत का ,
लड़ मरेंगे ,जादू की कोई झप्पी नहीं रखते …
बात खुद की हो तो मुस्कुराते हैं ये लोग ,
किसी और की ख़ुशी में , कम ही हैं हसते…
कोई मरे या जिए बस मिल जायें उन्हें रसते ,
ये लोग किसी दिल में कभी नहीं बसते …
क्षमा ऊर्मिला