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9 Apr 2024 · 1 min read

*भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )*

भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )
——————————————-
भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो
सादगी से यों भरो , जैसे कि संन्यासी बनो
जीत लोगे तुम सहज,संसार की सब व्याधियाँ
साध कर सुर साँस के , संगीत – अभ्यासी बनो
———————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451

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