*भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )*
भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )
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भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो
सादगी से यों भरो , जैसे कि संन्यासी बनो
जीत लोगे तुम सहज,संसार की सब व्याधियाँ
साध कर सुर साँस के , संगीत – अभ्यासी बनो
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451