भीगा ये आसमान क्यों है By Vinit Singh
कोई नहीं है बढ़कर आने वाला यहाँ
अपना जनाज़ा अपने कंधों पर उठाओ
सब बहरे हो चुके हैं कोई सुनने वाला नहीं
कंधे पे हाथ रख ख़ुदी को ग़म सुनाओ
कहते है कि हम सभी हैं उसी के बंदे
चुप इस तरह से फिर ये भगवान क्यों है
लाश चलकर जा रहे हैं भस्म होने ख़ुद ही
छुपकर बैठा हुआ आख़िर ये इंसान क्यों है
रो रहे हैं हम, भीगा ये आसमान क्यों है
सारा जहान बना हुआ ये श्मशान क्यों है
इंसान का हालात देख इंसान पूछता है
ज़िंदगी पर आख़िर इतना गुमान क्यों है
ज़िंदगी पर आख़िर इतना गुमान क्यों है
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar