भीखमंगे हैं हम सब।
मांगती हूं हम सब कुछ ना कुछ हर रोज।
वो ईश्वर है जिसके आगे सब हैं नतमस्तक।
नास्तिकता को छोड़कर, मोह, संभाल ले अपने संयम का।
नास्तिकता संयम दिखाता है, जिससे तने रहते हैं।
दुनिया में वह नास्तिकता भी उसी ईश्वर के हैं।
सबसे ज्यादा कमजोर हैं।
वो भी जो नतमस्तक हर रोज।
समतुल्य ता मिलती नहीं आसानी से।
अर्चना पूजा आस्था के बदले हम क्या नहीं मांगते ईश्वर से।
मिलती दिली ख्वाहिश उनके ही चरणों में |
वह है शांति विश्वास ,और क्या नहीं है आस्था के पास।
जो जैसा रूप धारी जैसा भाव ईश्वर उसी के अनुरूप करें।ऋत होती हैं,
ना चेतना की नुमाइश तो हम _-आप ना होते।
दौलत , जवानी का नशा सर चढ़ बोलता।
इस दुनियाँ में , जिसके पास जो हैँ। वहीं बेचा करते ,चाहें हरि कीर्तन वाले, चाहे खुदा का आमीन करने वाले।
शरीर ,मेधा (बुद्धि) विश्वास, हर रूप में अद्भुत तथ्य है।