Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2018 · 1 min read

भिखारी हूँ! भिखारी हूँ!

‘भिखारी हूँ ! भिखारी हूँ !
*******************

भूख जब रोंदती उर को
निवाला खोजता था मैं।
बहुत तकलीफ़ होती थी
जेब जब नोंचता था मैं।

पढ़ाया गर मुझे होता
न निर्धन हाल तब होता।
न तकता ढेर कूड़े का
न शोषित काल तब होता।

महल में वास करते जो
घरों में पालते कुत्ते।
बीनते हाथ जब देखे
जीभ से चाटते कुत्ते।

ठिठुरती सर्द रातों में
निर्वसन देह रोती थी।
सिसक आहें बहुत भरता
गरीबी चैन खोती थी।

किसी कोने पड़ा देखा
शराबी झट समझ डाला।
तरस न आया लोगों को
लूट कर मुँह किया काला।

कई दिन भूख से तड़पा
खत्म खुद को किया मैंने।
जलाए अंग एसिड से
अपाहिज तन किया मैंने।

बह रहा रक्त ज़ख्मों से
रिस रहा घाव से पानी।
बेबसी हँस रही मुझ पर
चिढ़ाती मुँह है जवानी।

भिखारी जाति है मेरी
कर्म से भी भिखारी हूँ।
नहीं कुछ शर्म कहने में
भिखारी हूँ ! भिखारी हूँ!

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी।

Language: Hindi
382 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
बचपन
बचपन
लक्ष्मी सिंह
पापा की परी
पापा की परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
'वर्दी की साख'
'वर्दी की साख'
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
Vaishaligoel
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जज़्बात
जज़्बात
Neeraj Agarwal
सपने..............
सपने..............
पूर्वार्थ
धरती को‌ हम स्वर्ग बनायें
धरती को‌ हम स्वर्ग बनायें
Chunnu Lal Gupta
अदाकारी
अदाकारी
Suryakant Dwivedi
3209.*पूर्णिका*
3209.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मोक्ष
मोक्ष
Pratibha Pandey
ଆପଣ କିଏ??
ଆପଣ କିଏ??
Otteri Selvakumar
तेरे मेरे बीच में
तेरे मेरे बीच में
नेताम आर सी
छिपी रहती है दिल की गहराइयों में ख़्वाहिशें,
छिपी रहती है दिल की गहराइयों में ख़्वाहिशें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कृषि दिवस
कृषि दिवस
Dr. Vaishali Verma
"विश्वास का दायरा"
Dr. Kishan tandon kranti
डाकिया डाक लाया
डाकिया डाक लाया
Paras Nath Jha
तुम भी 2000 के नोट की तरह निकले,
तुम भी 2000 के नोट की तरह निकले,
Vishal babu (vishu)
अच्छा खाना
अच्छा खाना
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
Phool gufran
■ मेरे विचार से...
■ मेरे विचार से...
*Author प्रणय प्रभात*
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
प्रेम.......................................................
प्रेम.......................................................
Swara Kumari arya
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
Pramila sultan
आश पराई छोड़ दो,
आश पराई छोड़ दो,
Satish Srijan
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जुगनू
जुगनू
Gurdeep Saggu
जहाँ बचा हुआ है अपना इतिहास।
जहाँ बचा हुआ है अपना इतिहास।
Buddha Prakash
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...