भाव – श्रृंखला
समुद्र से विशाल अंतर्मन निहित गतिशील भावनाओं की तरंगें,
कभी अभिनव कल्पनाओं विभोर उमंगें,
कभी नियति प्रभावित संतप्त मनोभाव,
कभी परिस्थितिजन्य असहाय भाव,
कभी अंतरतम मनोबल क्षीणता भाव,
कभी आत्मविश्वास, धैर्य संकल्पित भाव,
कभी गंभीर विषयवस्तु चिंतन भाव,
कभी भविष्य योजना निर्माण भाव,
कभी हानि- लाभ विश्लेषण भाव,
कभी नूतन आयाम सृजन भाव,
कभी ज्ञान अर्जन जिज्ञासा भाव,
कभी नवोन्मेष अनुसंधान भाव,
कभी अंतर्निहित मर्म अन्वेषण भाव,
कभी वस्तुस्थिति आकलन भाव,
कभी अन्याय विरुद्ध संघर्ष भाव,
कभी व्यवहार जनित क्षुब्ध भाव,
कभी आक्रोश आंदोलित भाव,
कभी समस्या निराकरण चिंतन भाव,
भाव- श्रृंखला की लहरें अविरल बहती रहतीं है,
प्रज्ञा रूपी नैया मन मस्तिष्क सागर में डोलती रहती है,