भाव, सघन चेत का/ फूल हँसें एक बन
(1)
भाव,सघन चेत का
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फूल,शुष्क खेत का|
गम न कभी रेत का|
गुण, सुगंध दे बने|
भाव,सघन चेत का |
(2)
फूल हँसें एक बन
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राष्ट्रहित सु-नेक बन|
और ज्ञान-टेक बन |
भारत-उद्यान के
फूल हँसें, एक बन|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
टेक=सहारा
भारत =भारतवर्ष