भाव पौध जब मन में उपजे, शब्द पिटारा मिल जाए।
भाव पौध जब मन में उपजे, शब्द पिटारा मिल जाए।
कह न सकूँ जो बात ज़ुबां से, क़लम सहारा मिल जाए।।
झूठ नेह की चिंगारी में, जल जाऊँ ये शौक़ नहीं।
जगत के झंझावतों से अब, मुझे किनारा मिल जाए।।
@शिल्पी सिंह बघेल