प्यार करो प्रिय
सरस शब्द चुन-चुनकर प्रेमिल
तन-मन का शृंगार करो प्रिय ।
मेरे अटल सुहाग तुम्हीं हो
मुझे हृदय से प्यार करो प्रिय ।।
तुमसे अंतर् है हरा -भरा
रहती नयनों स्वर्णिम धारा ।
मन-मंदिर में तुम उदित हुए
जैसे दिनकर का उजियारा ।।
स्नेहिल राग धरे अधरों पर
मन वीणा झंकार करो प्रिय ।
……………………।।
प्राणों से प्रियतर प्रीति लगे
प्रतिपल बरसे ज्यों पावस-घन ।
ले साथ चलो अब दूर कहीं
शोभित तुमसे मधुरिम जीवन ।।
भर दो आशा प्रीति हृदय में
नव उपवन संचार करो प्रिय ।
साँसों की डोर बँधी तुमसे
तुम पुरुष, प्रकृति मैं नव चेतन
आभार परस्पर करें प्रिये ।
हो नित्य प्रेम का आराधन।।
वैभव हो मकरंद पुष्प -सा
ज्योतित घर संसार करो प्रिय ।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’शोहरत
स्वरचित
वाराणसी
28/2/2022