Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 1 min read

भावो को पिरोता हु

भावों को पिरोता हूं

मेरे हिसाब की डायरी शब्दो का जुगाड नही
मैने लिखी थी शायरी भावो का जुगाड़ नहीं
महसूस करता मैं उसे शब्दों में पिरोता हूँ
कर महसुस आडम्बर मन से, व्यंग बाण चलाया था।
चलती कलम मेरी मन से ,देख जबान चलायी थीं ।
महसूस करता में जिसे ,शब्दों में पिरोता हूँ
प्रेम व्यंग पनपता नही, सान्त्वना की चादर से
नोट मेरा निकलता नहीं ,नोट करने की आदत से
महसूस करता मैं, जिसे शब्दों में पिरोता हूँ
गलती मुझसे जलती रही, बिन साधना की त्याग से.
निगाहे मेरी चलती रही ,कमर बन्द की परिहास से
महसूस करता मै जिसे, शब्दो में पिरोता हूँ
सोच समझ की पार कर रेखा, नयी सोच पिरोता हूँ।
खोज बिन को मार कर देखा, अपना पन रोज मिलाता हूँ
महसूस करता मैं उसे, शब्दों में पिरोता हूँ

114 Views

You may also like these posts

दिवाली क्यों मनाई जाती है?
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
Jivan ki Shuddhta
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है उसको दूसरा कोई कि
Rj Anand Prajapati
"तुम्हारे शिकवों का अंत चाहता हूँ
गुमनाम 'बाबा'
लोग कब पत्थर बन गए, पता नहीं चला,
लोग कब पत्थर बन गए, पता नहीं चला,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डॉ. अम्बेडकर ने ऐसे लड़ा प्रथम चुनाव
डॉ. अम्बेडकर ने ऐसे लड़ा प्रथम चुनाव
कवि रमेशराज
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
खुद के वजूद की
खुद के वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
Every today has its tomorrow
Every today has its tomorrow
Dr Archana Gupta
माँ शेरावली है आनेवाली
माँ शेरावली है आनेवाली
Basant Bhagawan Roy
*** एक दौर....!!! ***
*** एक दौर....!!! ***
VEDANTA PATEL
सपने हो जाएंगे साकार
सपने हो जाएंगे साकार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
चिंतन का विषय अशिक्षा की पीड़ा,, बेटा बचाओ
चिंतन का विषय अशिक्षा की पीड़ा,, बेटा बचाओ
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
#काव्यात्मक_व्यंग्य :--
#काव्यात्मक_व्यंग्य :--
*प्रणय*
मिनख रो नही मोल, लारे दौड़ै गरत्थ रे।
मिनख रो नही मोल, लारे दौड़ै गरत्थ रे।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
गुरु कुल में (गोपी )
गुरु कुल में (गोपी )
guru saxena
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
4119.💐 *पूर्णिका* 💐
4119.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
sushil sarna
दादी...।
दादी...।
Kanchan Alok Malu
*गणेश चतुर्थी*
*गणेश चतुर्थी*
Pushpraj Anant
इच्छा कभी खत्म नहीं होने वाला जो व्यक्ति यह जान लिए वह अब मो
इच्छा कभी खत्म नहीं होने वाला जो व्यक्ति यह जान लिए वह अब मो
Ravikesh Jha
*जाड़े की भोर*
*जाड़े की भोर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
धरा स्वर्ण होइ जाय
धरा स्वर्ण होइ जाय
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
वाचाल
वाचाल
Rambali Mishra
उलझन
उलझन
Khajan Singh Nain
भड़ोनी गीत
भड़ोनी गीत
Santosh kumar Miri
" वक्त "
Dr. Kishan tandon kranti
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
Annapurna gupta
Loading...