भावना का कलश खूब
भावना का कलश खूब
छलक रहा है यहां।
सुरमयी हर दिशा महक रही है यहां
छोड़ कर दुविधा
चलो चलें आगे
लिए दीवानगी कोई
बहक रहा है यहां।
~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
भावना का कलश खूब
छलक रहा है यहां।
सुरमयी हर दिशा महक रही है यहां
छोड़ कर दुविधा
चलो चलें आगे
लिए दीवानगी कोई
बहक रहा है यहां।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य