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28 Jul 2024 · 1 min read

भावना का कलश खूब

भावना का कलश खूब
छलक रहा है यहां।
सुरमयी हर दिशा महक रही है यहां
छोड़ कर दुविधा
चलो चलें आगे
लिए दीवानगी कोई
बहक रहा है यहां।
~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 37 Views
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