भावनाएं स्नेह की
* गीतिका *
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भावनाएं स्नेह की मन में जगाकर देखिए।
जिन्दगी का गीत प्यारा गुनगुनाकर देखिए।
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आ रहा मौसम सुहाना खिल रहे हैं फूल जब,
भूल कर बातें पुरानी मुस्कुराकर देखिए।
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चान्दनी है रात मनभावन नजारा हर तरफ,
बादलों सी जुल्फ मुखड़े से हटाकर देखिए।
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कौन कहता है नहीं होता हृदय पाषाण का,
बेवफा से भी कभी तो दिल लगाकर देखिए।
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क्यों अभी घबरा रहे हो खत्म होगा ये तमस,
कीजिए कोशिश जरा दीपक जलाकर देखिए।
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राह की सब ठोकरों के साथ तुम बढ़ते रहो,
हो सके कुछ पत्थरों को भी हटाकर देखिए।
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हैं सभी अपने यहाँ कोई पराया है नहीं,
आचरण से बात यह सबको बताकर देखिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)