भावनाएं नाजुक होती हैं,
वो मुझे रोकती रही,
और मैं आगे बढ़ गया,
वो मेरा जुनून था,
उसको डर,
तन्हाई बढ़ जाने का,
न मुझे कुछ मिला,
न उसे कुछ हासिल,
उसके अश्क
फिर भी मोतियों-सम सजे,
मुझे लोगों ने काफ़िर कहा,
डॉ महेंद्र सिंह खालेटिया,
वो मुझे रोकती रही,
और मैं आगे बढ़ गया,
वो मेरा जुनून था,
उसको डर,
तन्हाई बढ़ जाने का,
न मुझे कुछ मिला,
न उसे कुछ हासिल,
उसके अश्क
फिर भी मोतियों-सम सजे,
मुझे लोगों ने काफ़िर कहा,
डॉ महेंद्र सिंह खालेटिया,