भारी बस्ता कापी बीस।
——-आधुनिक शिक्षा- —
भारी बस्ता कापी बीस,
ऊपर से है मोटी फीस ।
कही पढ़ाई का नाम नहीं है,
अच्छा कोई परिणाम नहीं है ।
नंबर की है मारा मारी।
अभिभावक की है लाचारी।
सरकारी स्कूल को समझते बेकार,
प्राइवेट का हो रहा व्यापार।
सब समाज की शौक है भारी
पढ़ें लिखे संतान हमारी ।
पैसा पानी सा बहाते
पर बदले में कुछ न पाते।
रोज मांग है माडल चार्ट
माना ये शिक्षा के पार्ट।
दिखावे का है व्यापार
इससे होता पैसा बेकार।
भाव समझ नहीं कराते
तोता जैसे प्रश्न रटाते।
मौलिक सृजन का न करे विकास
तो कैसे बच्चे हो पास ?
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र