भारत
भारत सभ्यता और संस्कृति का आधार है,
कण-कण में व्याप्त ऊर्जा का संचार है,
यह काया की पवित्रता,कर्तव्य बोध कराता है;
उच्च आदर्श स्थापित करने हेतु बहुत आभार है।
आभार है इस जीवन्त राष्ट्र की संस्कृतियों का
जो मन मष्तिष्क पर अमिट छाप छोडती है,
जब चलती है यह,हृदयाञ्चल के सेतु पथ पर;
तब यह अविरल धारा,गंगा यमुना सी बहती है।
यह प्रतिभा संपन्नता और उच्च कर्म का द्योतक है,
यह नीति,ज्ञान,विज्ञानऔर विभिन्न गुणो का पोषक है,
शिष्टाचार मिलता यहां,यह चरित्र निर्माण का शिलालेख
धर्मग्रंथ का आदर इसमे,यह नवभारत का स्वाभिलेख।
यहां मर्यादित जीवन जीने मे,व्यक्ति राम बन जाता है
नारी पवित्र सीता बनने से, कुल गौरव बढ जाता है
बुद्ध,नानक,तुलसी,कबीर,ज्ञान यही तो देते हैं,
आत्मगुणों से पूरित होकर,हर व्यक्ति देव बन जाता है।
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स्वरचित/मौलिक
पंकज पाण्डेय “सावर्ण्य”