भारत रहो विजयी सदा
छंद-गीता
2212 2212 2212 221
भारत रहो विजयी सदा दिल में इहे अरमान।
फहरे तिरंगा विश्व में दुनिया करे सम्मान।
जय हिन्द जय, भारत अजय, दुश्मन करे जयकार।
सागर शिखर अम्बर धरा पूजा करे संसार।
उत्तर हिमालय और दक्षिण सिंधु शीतल नीर।
भारत हई जननी सदा पैदा करेली वीर।
पानी अलग बानी अलग बा भेष-भूषा भिन्न।
पर देश खातिर प्रेम दुश्मन कर न पावे छिन्न।
गांधी भगत सुखदेव राणा और अब्दुल वीर।
आजाद अउरी बोस जे सहलन न माँ के पीर।
मारल गइल, फांसी भइल, हारल न माँ के लाल।
अंतिम समय जय हिन्द के नारा रहल हर हाल।
पैंसठ बहत्तर युद्ध तऽ करगिल कबो गलवान।
माटी मिला दिहलें सदा तब हिन्द के बलवान।
चिंता न कइलन जान के, भइलन हवें कुर्बान।
सरहद क रखवाली करत, दिहलन हँ आपन जान।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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