भारत रत्न की आस
भारत रत्न की आस
*******
कुछ हमको ही नहीं
दुनिया को भी बताइए
आखिर क्या तलाश है आपको।
जब यही नहीं पता
तब क्या तलाशते हो?
दुनिया को दिखाते हो
आंखों में धूल झोंकते हो
खुद को गुमराह करते हो।
इससे कुछ हासिल नहीं होगा
क्योंकि हाथ कुछ भी नहीं लगेगा।
अपना ही समय, श्रम व्यर्थ होगा
अच्छा है पहले खुद से विचार कीजिए
कि आखिर आपको तलाश क्यों और क्या है
और आपकी तलाश में गंभीरता कितनी है।
वरना बेवजह मत भटकिए
तलाश का दिखावा मत करिए
खुद को बड़ा बुद्धिमान मान बेवकूफ मत बनिए।
क्योंकि लोग तो जानते ही हैं
कि आप कितने बुद्धिमान और कितने समझदार हैं
आपको कुछ भी नहीं तलाश है
तलाश के बहाने बस समय पास है
आपकी यही आदत ही तो सबसे खास है
जिससे आपको भारत रत्न की आस है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश