भारत में सूरज की नई किरण
नए अंक की रश्मिरथी,
सूरज से करके प्रयाण
कर हिन्द महासागर में स्नान,
पीयूष-सुधा भर अन्चुक में
रामसेतु की धूल सजा कर माथे पर,
तिरुपति की जय-जय कार किए,
सूरज की पहली किरण,
जब अरुणाचल से टकराकर,
कैलाश मानसरोवर से होकर
गंगोत्री में प्यास बुझाएगी,
लद्दाख में अंगड़ाई तोड़ेगी
अमृतसर से पी अमृत
अजमेर शरीर की ले चादर
जब भारत के दरबाजे पर आएगी…
मन्दिर के घण्टे,
चर्चो के घड़ियाल,
गुरुद्वारे की अरदास
मस्जिद की नवाज,
हर आँगन में गूँजेगी..
मन मस्त मगन हो जाएगा
आकाश नक्षत्र सब एक हो जाएगा
बदलेगी जीवन की परिभाषा
जीवन में एक नया अंक बढ़ जाएगा..
दूर होगा अंधकार तमिष,
आशा से भर जाएगा भविष्य,
खुशहाली होगी चहुँओर
आंगन-आंगन नाचेंगे मोर,
मुरझाई कलियां फूल बनजाएँगी,
अबरुद्ध मार्ग खुल जाएंगे..
काल हाथ जोड़कर आएगा
बुद्ध का संतुलन धर लाएगा,
महावीर का द्रण संकल्प लिए,
यीशु का बलिदान लिए,
पैग़म्बर की महाविजय,
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की गौरब गाथा गाएगा..
जीवन में जब नया अंक बढ़ जाएगा…..।।
प्रशांत सोलंकी,
नई दिल्ली-07