भारत माता की चीख
माता पर न्यौछावर जन ,
माता के टुकडे कर बैठे।
खल ध्वंस करने चले साथ,
आज वे पामर बन बैठे।।
पाक बना,बंगला बना,
भारत के हिस्से कर बैठे।
अमर शहीदों के दिल में,
चीरा आप लगे बैठे।।
एक घर के घर तीन हुए,
तीनों आपस में लड़ बैठे।
एक राम कहे, दो कहे खुदा,
आतमा को विभाजित कर बैठे।
कश्मीर आज चीख रहा है
अपनी खींचातान पर ।
मेरा भारत महान है
कहै कैसे सीना तानकर ?
पाॅव पखारे सागर इठलाता,
आज अधूरा लगता है ।
करता अश्रुपात हिमालय
अपने भाग्य पर रोता है।।
चारों ओर भारत की सीमा,
आज तडफती लगती हैं, ।
भारत माता की हर आवाज,
अपने दुर्भाग्य पर रोती है।।