भारत माँ से प्यार
हम वीर नही
अधीर नही
जो हमे
भारत माँ से प्यार नही
कोई गुलाम नही
वो गुलाम सही
जो स्वतंत्रता की पगदण्डी पर
चलता बार-बार नही
धरती माँ को शीश नवाये
जब जी चाहे शीश झुकाये
उसका कर्ज हम पर है
हम जब चाहे
भारत माँ के सम्मान मे
शीश नवाये
वो वीर नही
अधीर नही
धरती मां के सम्मान मे
झुकता जिसका शीश नही
मै भारत माँ की जय बोलू
जब जी चाहे दिल से बोलू
कोई बन्दीशे नही है मुझ पर
जब जी चाहे भारत मां की जय बोलू
मै भारत माँ के सम्मान मे
भारत माँ की जय-जय कार करु
मै भारत माँ से इतना प्यार करु
जब जी चाहे जोर-जोर से
वन्दे मातरम् की हुंकार भरु
एक नही दो बार नही
उसे भारत माँ से प्यार नही
वन्दे मातरम् की
भरता हुंकार नही
swami ganganiya