” भारत माँ के वीर सिपाही”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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इस धरती के वीर सिपाही ,सर ना कभी झुकने देंगे !
मातृभूमि के लिए निछाबर ,प्राणों की हम बलि देंगे !!
इस धरती के वीर सिपाही ,सर ना कभी झुकने देंगे !
मातृभूमि के लिए निछाबर ,प्राणों की हम बलि देंगे !!
हम रक्षक बन यहाँ खड़े हैं ,लोगों की रक्षा का प्रण है !
बाल न बांका कौन करेगा ,जिसका फौलादी मन है !!
हम रक्षक बन यहाँ खड़े हैं ,लोगों की रक्षा का प्रण है !
बाल न बांका कौन करेगा ,जिसका फौलादी मन है !!
है हिम्मत तो आकर देखो ,सौ टुकड़े मस्तक कर देंगे !
इस धरती के वीर सिपाही ,सर ना कभी झुकने देंगे !!
मातृभूमि के लिए निछाबर ,प्राणों की हम बलि देंगे !!
है साहस धैर्य हथियार बना ,अस्त्र शस्त्र की चाह नहीं !
शक्ति के हैं बड़े उपासक ,मरने की हमें परवाह नहीं !!
है साहस धैर्य हथियार बना ,अस्त्र शस्त्र की चाह नहीं !
शक्ति के हैं बड़े उपासक ,मरने की हमें परवाह नहीं !!
अपने झंडे को ना कभी हम ,तुंग शिखर से गिरने देंगे !
इस धरती के वीर सिपाही ,सर ना कभी झुकने देंगे !!
मातृभूमि के लिए निछाबर ,प्राणों की हम बलि देंगे !!
हम शांति दूत कहलाते हैं ,पर क्षण में शौर्य दिखाते हैं !
बन जाए कोई असुर यहाँ ,त्रिनेत्र से भस्म कर देते हैं !!
हम शांति दूत कहलाते हैं ,पर क्षण में शौर्य दिखाते हैं !
बन जाए कोई असुर यहाँ ,त्रिनेत्र से भस्म कर देते हैं !!
हम युगयुग से हैं खड़े यहाँ ,रक्षा इसकी हम करते रहेंगे !
इस धरती के वीर सिपाही ,सर ना कभी झुकने देंगे !!
मातृभूमि के लिए निछाबर ,प्राणों की हम बलि देंगे !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “