भारत महान
??आल्हा छंद??
16,15पर यति अंत गुरु लघु
जब -जब भीड़ पड़ी भारत पर, भीतर उठता खूब उफान।
क्रोध अग्नि नेत्र भृकुटी उगले, अग्नि अस्त्र दागे जवान।।
लोह भुशुण्डि दनादन गरजे, मारे तोप बम्म बौछार।
वायुयान नभमंडल डोले, घेरती जल सेना अपार।।
वीर योद्धा गरजते ऐसे, ज्यूं गरजे मेघा अकाश।
सिंह बन टूटे रणभूमि में, बन कौंधे ताड़िका प्रकाश।।
देशहित लड़ने वालों संग, हनुमान जी करे संहार।
रणचंडी सेना संग चले, योद्धा करते भीम प्रहार।।
धूम्र रक्तिम वर्ण ले नैना, खड़े हदों पर सीना तान।
अंग भंग हो जाए चाहे, घटने न दिया अपना मान।।
ध्वजा चूमती गगन देखकर, नित होता ऊर्जा संचार।
आ छीनने वीरों की भूमि, शत्रु करें प्रयत्न बेकार।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हिमाचल प्रदेश)