भारत भाग्य विधाता
है अनुपम अनुपवर्णी।
स्वर्णिम पंख मधुर सुवर्णी।।
है मनोरम अति मनोहारी ।
प्राकृतिक छटा जहाँ अति प्यारी ।।
है क्षमा ,त्याग ,शान्ति का द्योतक।
सर्वधर्म समभाव का है जो उद्घघोषक।।
है शौर्य पराक्रम की जहाँ प्रचलित गाथा।
नहीं और कोई तो वो है अपना भारत भाग्य विधाता।।