भारत देश
बसा प्रकृति की गोद में,भारत देश महान।
जिसके पावन भूमि पर,जन्म लिये भगवान।।
सागर धोता है चरण, बना हिमालय ताज।
ऐसे भारत देश पर, हमे बड़ा है नाज़।।
गंगा ,जमुना,प्रेममय ,बहे सुधा की धार।
ग्रामवासिनी श्यामली,शुद्ध-बुद्ध आगार।।
मिट्टी की सोंधी महक ,कंकड़ भी अनमोल।
कई तरह की बोलियाँ,हिन्दी मीठी बोल।।
सुबह सुहानी सुरमयी,और सुहानी शाम।
जहाँ स्वर्ग-सी है धरा,सब धर्मों का धाम।।
होता सोने -सा दिवस,चाँदी जैसी रात।
जगत पिता गुरु रूप में ,रहा विश्व विख्यात।।
राष्ट्र पक्षी मयूर है,राष्ट्र पुष्प अरविन्द।
चित्रक है राष्ट्र पशु,जय भारत जय हिन्द।।
बना तिरंगा राष्ट्र ध्वज,भारत की पहचान।
तीन रंग में शोभता,आन बान औ”शान।।
त्याग तपस्या साधना,और दिलों में प्रीत।।
जनगण वन्देमातरम्,हर होठों का गीत।।
खान पान बोली अलग,रहन-सहन परिवेश।
अनेकता में एकता, ऐसा अपना देश।।
इस माटी की कोख से,जन्में वीर अनेक।
कन्या से कश्मीर तक,अपना भारत एक। ।
वंदनीय हर धर्म है, नहीं बैर विद्वेष।
अगनित नदियों का मिलना,बना तीर्थ संदेश।।
हरी-भरी हर वादियाँ,रत्नों का भंडार।
सोने की चिड़िया रही,जग का भाग्य सितार।।
“वसुधैव कुटंबुकम”है,सकल विश्व परिवार।
सदा शांति का पक्षधर, भारत बड़ा उदार।।
गौ,गीता,गंगा त्रिविध,देव तुल्य उपहार।
धन्य सुवासित भारती,सुख समृद्धि साकार।।
मात-पिता गुरु देव सम,ज्ञान-लोक के द्वार ।
“अतिथि देवो भवः”यहाँ,है सबका सत्कार।।
रचा बसा संस्कार में, संस्कृति की पहचान।
परंपराओं से बँधी,यहाँ सभी इंसान।।
रीति-रिवाजो से भरे,कई पर्व त्योहार।
उत्सव और विवाह में,मधुर मंगलाचार।।
जन्म लिये इस भूमि पर, कितने संत फकीर।
गाँधी,गौतम, जायसी,तुलसीदास,कबीर।।
जिसने पहले विश्व को,दिया शुन्य का ज्ञान।
गणित कला साहित्य में,था ऊँचा स्थान।।
वेद पुराण उपनिषदों,उद्गम अनुसंधान।
इनके हर स्त्रोत में,ज्ञान और विज्ञान।।
चरकसूत्र संजीवनी,आयुर्वेद विज्ञान।।
राजनीति चाणक्य की,जाने सकल जहान।।
भारत ने जग को दिया,श्रेष्ठ योग का ज्ञान।
गर्व शीर्ष ऊपर ऊठा,बढ़ा मान सम्मान।।
नृत्य और संगीत में,रहा अहम स्थान।
बुद्धिजीवियों से भरा,भारत देश महान।।
यहाँ सभ्यता का हुआ,सबसे प्रथम विकास।
है गौरवशाली बहुत,भारत का इतिहास। ।
-लक्ष्मी सिंह