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16 Apr 2020 · 1 min read

भारत-जननी

आदित्य का तेज जहाँ हो,टिक सकता क्या महाकाल भला ?
भरी जवानी,उबाल नसों में,फिर मिटा सकता क्या महाकाल भला।
भीख माँगती अमरता रोती,प्राणों के प्रण पर देश चला।
सत्य अहिंसा समरसता से,मानवता का परिवेश पला।

इतिहासों के पन्नों पर,भारत माँ अभिमानी है।
अरब अफगान यवन फिरंगी,कलंकित इनकी कहानी है।
छक्के छुड़ाये फिरंगी लाटों के,वो मर्दानी झाँसी की महारानी है।
जंग-ए-आजादी की दिवाली,जहाँ मनी वो जेल कालापानी है।

दर्दो का उभार छोड़ के,दल के दल जिस ओर चले।
महासमर के महाभारती,पहुँचे जहाँ,बलिदानों के दीप जले।
सिन्दुर मांंग की लेकर जाते,माता का आँचल ढकने को।
कफन बाँधकर निकले महारथी ! दूध का कर्ज चुकाने को।

सीने में थी आग धधकती,सूरज को ठंडा कर देती।
हिमालय सी छाती जिनकी,कायर को वीर बना देती।
लाठी-डंडे बन्दूक तो क्या,छू सकती क्या उनको तोप भला।
अंधड़ झंझा,तूफान तो क्या,नहीं रोक सकती थी कोई बला।

अंग्रेजों की चालाकी, जिन्ना के जिन्न की बेईमानी।
किए टूक कई दिलों के,उस जल्लाद की फरमानी।
माँ के आँचल को चीर,वसन पहना,तृप्त हुआ निशाचर।
नीच पातकी के मनसूबे,पूरे हुए अपनो के खून पर।

माता स्नेह-चीर न छोटा था।
पर वो नर नीच ही खोटा था।
कर के टूक,पाल गया आंतकियों को।
जन्नत में न जा सका,फिर रहा यहाँ, बना मित्र मक्खियों को।

भारत माँ के जो लाल यहाँ है।
इनको जन्नत और जहाँ हैं।
जन्नत में रहने वाला खुदा कहाँ है।
जहाँ भारतमाता,भारतवासी वहाँ है।

ज्ञानीचोर
9001321438

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 898 Views
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