भारत के वीर जवानों से
अमर रहे, तू अमर रहे, जन-शक्ति के नारों से
कश्मीर हमारा घायल था, आवैसी गद्दारों से
हाथों में संगीन उठाके, बदला लिए हत्यारों से
छाती में आग ध-धकता था, आतंकों के तानों से
पाकिस्तानी दाँत हुए खट्टे, भारत के वीर जवानों से
अशांति अशक्ति अलगा-वादी, पनप रहा था घाटी में
वीर सपूतों के लहू मिलते थे, हिंदुस्तानी माटी में
दोहरी कानूनी करण में, करते थे खुद की मनमानी
घाटी में मां आंचल फाड़े, तब चुप थी दिल्ली राजधानी
दुश्मन आ कर मिल बैठा थे, राजनैतिक बेईमानों से
पाकिस्तानी दाँत हुए खट्टे, भारत के वीर जवानों से
शेरों से क्या जीतेंगा, गीदड़ कुत्तों की जाति
जननी पे जो आँख उठाये, चीर दूँ उसका छाती
पिता निछावर कर डाला, बुढ़ापा का लाठी
कंधो पे शव ले चलता, हो गया पुतलों का काठी
घुट-घुट कर कुनबा जीता है, सान्त्वना के दानों से
पाकिस्तानी दाँत हुए खट्टे,भारत के वीर जवानों