भारत के बीर सपूत
*** भारत के बीर सपूत ***
ऐ भारत के बीर सपूतो
मजहब को तुम न देखो
एक प्रेम भाव से रहकर
भारत के भविष्य को देखो ।
मजहब से कुछ न होवे
सब होए कर्म से पूरा
मजहब है अलग तो फिर क्या
एक सा रक्त सभी का है देखो।।
मजहब यदि कुछ होता तो
इंसां ना एक से होते
इसीलिए मजहब को लेकर
अन्याय किसी पे न देखो।।।
चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम
चाहे हो सिक्ख ईसाई
है अंग सभी के एक जैसे
इससे भ्रातत्व तो सीखो
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दिनेश कुमार गंगवार