भारत का लाल
दूध की नदियां बहती हो जिस भारत माँ के आंचल से।
उसका कोई क्या बिगाड़ेगा गोली से तीर या तलवार से।।
दूध पीकर जिसके सीने का हर वीर सिंहनाद करता हो।
जिसके आँचल की रक्षा हेतु हर पल हर क्षण मरता हो।।
हर दुश्मन थर्राता है ऐसे हर शूरवीर की ढाल से।
उसका कोई क्या बिगाड़ेगा गोली से तीर या तलवार से।।
आजादी के मतवाले थे वो फांसी के फंदे पर झूल गए।
बेटे थे वो इसी धरा के तुम उनकी कुर्बानी क्यों भूल गए।।
गुलामी का सेहरा हटा गए वो भारत माँ के भाल से।
उसका कोई क्या बिगाड़ेगा गोली से तीर या तलवार से।।
क्यों चिल्लाते घूम रहे कहते हो ये कश्मीर हमारा है।
जो तुमको देकर भूल गए हम वो टुकड़ा हमारा है।।
सीधी सच्ची राह चलो तुम कुछ ना मिलेगा उल्टी चाल से।
उसका कोई क्या बिगाड़ेगा गोली से तीर या तलवार से।।
दूध की नदियां बहती हो जिस भारत माँ के आंचल से।
उसका कोई क्या बिगाड़ेगा गोली से तीर या तलवार से।।