मां के लिए कविता
तू ठंड में सूरज सी किरण
तू भारत का है तरुण
तू है पास, तू है खास
तुझ पर है सबको विश्वास
तू गर्मी में पानी की प्यास
तुझमें ज्वाला सी है आग
तु दुश्मन को कर देगी खाक
तू बर्षा में वर्धन की आश
तू है प्राण, तू है प्रण
तू ठंड में सूरज सी किरण..
तू लड़ाई में युद्ध का रण
तू धूल में मिट्टी का कण
तू आन है, तू शान है
तुझसे ही सारा जहान है
तू धैर्य है, तू क्रोध है
तुझमें ही वेदों का बोध है
तू है हवा , तू है कला
तेरे ही आंचल में पला..
मां तेरे लिए क्या लिखूं तेरी ही लिखावट तो मै हूं ।
✍️ आशीष गुर्जर पटेल