भारत का असन्तुष्ट युवा
भारत का असन्तुष्ट युवा
( आलेख )
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भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा वर्ग रखने वाला देश है | किसी भी देश के सर्वांगीण विकास के लिए युवाओं की भागीदारी बहुत मायने रखती है | युवा वर्ग ही है जिसमें जोश, जुनून और असीम शक्ति समाहित होती है | लेकिन यह शक्ति तभी सार्थक और उद्देश्यपरक हो सकती है , जब युवा वर्ग संतुष्ट हो तथा अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझता हो | भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो ये उजागर होता है कि अधिकांंश भारतीय युवा असंतुष्ट है , क्यों कि आज के युवा वर्ग में मूल मानवीय गुणों यथा — नैतिकता , सद्गुण , धैर्य , त्याग , समर्पण , विश्वास , क्षमाशीलता, कर्मठता , कर्तव्यपरायणता , संस्कार और सम्मान की भावना का उनके व्यक्तित्व में समाहित नहीं होना है , जिसका मूल कारण परिवारों में विघटन ,एकाकी परिवार और समाज से युवाओं की दूरी का होना है | यह अकाट्य शाश्वत सत्य है कि – माँ बालक की प्रथम शिक्षक होती है और परिवार उसकी प्रथम पाठशाला | अत : यदि युवाओं को बचपन में ही माता के द्वारा संस्कार ,सद्गुण और नैतिकता जैसे मानवीय श्रेष्ठ गुणों का उनके व्यक्तित्व में संचार कर दिया जाए तो वह बालक एक संतुष्ट और योग्यतम युवा बनकर उभरेगा जो न केवल परिवार और समाज बल्कि राष्ट्र-निर्माण में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभाएगा | वर्तमान में तकनीकी संजाल और आधुनिकता के मोह ने , न केवल वर्तमान युवाओं को वशीभूत किया है बल्कि भूतपूर्व युवाओं को भी अपने वास्तविक कर्तव्य और जिम्मेदारी से विमुख कर दिया है | ये वही संतुष्ट भूतपूर्व युवा अपने अभूतपूर्व योगदान से मुख मोड़ रहे हैं | यदि भूतपूर्व युवा अभिभावक जिम्मेदारी के साथ अपने संस्कार और नैतिक शिक्षा वर्तमान युवा वर्ग में स्थानांतरित करें तो भारतीय युवा शक्ति का परचम फिर से लहरा सकता है जैसा कि स्वतंत्रता आंदोलन में लहराया था |
युवा असंतुष्टि का कारण :- भारतीय युवाओं में असंतोष और असंतुष्टि के बहुत से प्रत्यक्ष और परोक्ष कारण हैं जैसे —
१.समाजशास्त्रीय कारण :–
ये वो आधारभूत और सशक्त मूल कारण हैं , जिनके अभाव में युवा वर्ग अपनी शक्ति का सार्थक और यथार्थ प्रयोग नहीं कर पाते हैं तथा अपनी युवा-शक्ति को दिशाविहीन कर लेते हैं जैसे —
— संस्कार , सद्गुण और नैतिक शिक्षा का अभाव होना |
— सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का पूर्णत: विकास न होना |
— पारिवारिक जिम्मेदारी से विमुखता |
— संयुक्त परिवार प्रणाली का विघटन |
— आधुनिकीकरण और पर-संस्कृतिग्रहण |
— जातीय विभेदता और सांस्कृतिक विलगाव |
— आधारभूत शिक्षा की कमी |
२. भौगोलिक कारण :–
व्यक्तित्व निर्माण और विकास में भौगोलिक तत्वों का योगदान आधारभूत होता है | व्यक्ति जिस पर्यावरण में पैदा होता है ,निवास करता है , वहाँ की पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकीय भौगोलिक दशाऐं अपना प्रभाव निश्चित रूप से डालती हैं | वर्तमान में हो रहे पर्यावरणीय बदलाव के कारण भी भारतीय युवा वर्ग में मानसिक बदलाव आया है, जिसके कारण युवाओं की प्रकृति में तीव्रता से बदलाव आया है | इस बदलाव के कुछ कारण निम्नांकित हैं —
— पर्यावरणीय प्रदूषण |
— ग्लोबल वार्मिंग |
— ओजोन क्षरण |
— मानसून में बदलाव |
— जैवविविधता विनाश |
— जनसंख्या वृद्धि |
— नगरीकरण |
— मलीन बस्तियों का विस्तार
३. राजनीतिक कारण :–
युवाओं में असंतोष एवं असंतुष्टि का एक अन्य कारण राजनीतिकरण भी है ,जिसके कारण युवा वर्ग में आक्रोश उजागर होता है ,जिसके कुछ तथ्यात्मक कारण इस प्रकार हैं —
— अवसर की असमानता |
— राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु युवाओं को माध्यम बनाना |
— राजनीतिक अपराधीकरण
— संवैधानिक अनुपालना को अनदेखा करना |
४. आर्थिक कारण :–
बहुत से आर्थिक कारण हैं जो कि युवाओं में असंतोष और असंतुष्टि पैदा करते हैं जैसे —
— बेरोजगारी
— निर्धनता
— आर्थिक पिछड़ापन
— निजीकरण
— मशीनीकरण
५. वैज्ञानिक कारण : —
वैज्ञानिक विकास का किसी भी देश के विकास एवं निर्माण हेतु आधारभूत योगदान होता है ,किंतु कुछेक कारणों से युवाओं में असंतुष्टि पैदा हुई है जैसे —
— कम्प्यूटर द्वारा मानव श्रम में कमी |
— मोबाइल जैसी तकनीकी का अत्यधिक दुरूपयोग |
— व्हाट्सएप ,फेसबुक, ट्विटर ,ईमो जैसे सॉशियल मीडिया पर युवाओं की अधिकतम समय तक उपस्थिति |
— टॉवरों से निकलता हानिकारक विकिरण |
— तकनीकी का सही दिशा में प्रयोग का न होना |
युवा असंतुष्टि के प्रभाव :–
यदि युवाओं में असंतुष्टि घर कर जाती है तो यह न केवल व्यक्तिगत रूप से से नुकसानदेह होती है अपितु यह परिवार ,समाज और राष्ट्र के लिए भी घातक होती है , क्यों असंतुष्टि के कारण युवा-शक्ति का उपयोग सही दिशा में और उचित रूप से नहीं हो पाता | जिसके परिणाम स्वरूप राष्ट्र-निर्माण एवं विकास अवरूद्ध हो जाता है तथा राष्ट्रीय एकता और अखण्डता पर भी संकट के बादल मंडराने लगते हैं | युवा वर्ग अपनी असंतुष्टि के कारण पथ-भ्रष्ट होकर नशे की ओर बढ़ जाता है | यही नहीं चंद लालसा की खातिर आतंकवाद और नक्सलवाद का दामन थामने से भी नहीं झिझकते और अपराधों की और प्रवृत्त हो जाते हैं | चोरी ,डकैती ,लूट, बलात्कार तो सामान्य सी बात हो जाती है |
युवा संतुष्टि हेतु सुझाव : —
युवाओं मे व्याप्त असंतोष और असंतुष्टि को दूर करने के लिए सर्वप्रथम हमें मूल रूप से बच्चों को संस्कार सद्गुण और नैतिकता की आधारभूत शिक्षा परिवार एवं विद्यालय स्तर पर देनी होगी | इसी के साथ भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्परा , राष्ट्रीय प्रतीकों और राष्ट्रीय आंदोलन के विराट व्यक्तित्वों के प्रति भी बच्चों को जागरूक करना होगा | युवाओं में मानवीय गुणों की प्रबलता को विकसित करना होगा ताकि हर विपरीत परिस्थिति में भी वह अपना स्वविवेक कायम रखते हुए धैर्य के साथ अपना कर्तव्य निभाये | युवाओं को तकनीकी के दुरूपयोग से संबंधित जानकारी भी मुहैया करवाई जानी चाहिए नहीं तो आने वाली पीढ़ियाँ भी मूक और बधिर पैदा होने लगेगी , क्यों कि जो अंग काम में नहीं आते , वो धीरे-धीरे विलुप्त हो जाते हैं जैसे सर्प के पैर और आदि मानव की पूँछ |
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— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”