Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2019 · 2 min read

भारत और इंडिया तुलनात्मक सृजन

भाव, ताल औ”राग से, निकला भारत देश।
आज बना है इंडिया, बदल गया परिवेश।। १

देवों ने जिसको रचा, अपना भारत धाम।
बदल दिया अंग्रेज ने, रखा इंडिया नाम।। २

भारत भावों से भरा, अर्थपूर्ण है नाम।
अर्थहीन है इंडिया, अर्थहीन सब काम।।३

स्वर्ण विहग भू भारती, पत्थर में भगवान।
जब कहलाया इंडिया, भूल गया पहचान।।४

भारत में भाषा कई, दे हिन्दी रस घोल ।
अब कहता है इंडिया, अंग्रेजी बड़बोल।।५

भारत में चारों तरफ, पेड़, खेत-खलिहान।
भरा प्रदूषण इंडिया, त्राहि-त्राहि इंसान।।६

भारत में संगीत लय, ताल रिदम हर साँस।
पाॅप-साॅग पर इंडिया, करे आइटम डांस।।७

भारत बगिया में भरा, कटहल जामुन आम।
मैग्गी, पिज्जा इंडिया, बेचे ऊँचे दाम।।८

भारत में पंडाल है, मंडप, मंदिर, चाॅल।
पब-डिस्को है इंडिया, माॅल सिनेमा हाॅल।।९

भारत का प्राकृतिक छवि, देव रूप प्रत्यक्ष।
मगर आज यह इंडिया, काट दिया सब वृक्ष।।१०

भारत में सद्भावना, मिले सखा सी हस्त।
चकाचौंध में इंडिया, अपने में सब मस्त।। ११

करुणाकर, करुणामयी, भारत हृदय विशाल।
भौतिक सुख में इंडिया, रिश्ते किये हलाल।। १२

भारत में जीवन भरा, पंच तत्व से प्रीत।
हृदय शून्य है इंडिया, आडंबर है मीत।। १३

भारत माँ की गोद में, सुख की शीतल छाॅव।
बसा शहर में इंडिया, छोड़ा अपना गाॅव।। १४

भारत कण-कण में बसा, कितने रीति – रिवाज।
बिखर रहा है इंडिया, घायल हुआ समाज।। १५

हँसी–ठहाके, मसखरी, भारत का सौगात।
सिसक रहा है इंडिया, रही नहीं वो बात।।१६

भारत श्री मदभागवत, नित रामायण पाठ।
धर्म-कर्म में इंडिया, देखे अपना ठाठ।। १७

भारत में मिलजुल रहे, दादा-दादी साथ।
मकड़ जाल में इंडिया, कौन उबारे नाथ।। १८

हरा-भरा मधुवन जहाँ, भारत रूप हसीन।
इंडिया में दिवाल पर, पर्दे हैं रंगीन।। १९

भारत में संतोष है, परंपरा सुख चैन।
बदहवास सा इंडिया, भाग रहा दिन-रैन।। २ ०

भारत निश्छल भाव से, करता आदर सत्कार।
स्वार्थ भरा यह इंडिया, स्वार्थ पूर्ण व्यवहार।। २१

भारत में ग्रामीण का, सीधा सरल स्वभाव।
अवसादित है इंडिया, छल झूठ का प्रभाव।। २ २

भारत में हल जोतते, कर्मठ-बली किसान।
टावर, चिमनी इंडिया, गगन- चुुम्बी मकान।। २३

भारत गावों में बसा, जीवन का सब सार।
फैशन वाला इंडिया, माया का संसार।। २४

साड़ी, चोली, चुनरिया, भारत का श्रृंगार।
निम्न वस्त्र में इंडिया, भूले सब संस्कार।। २५

भारत में माता-पिता, बच्चों के भगवान ।
वृद्धा आश्रम भेजना,कहे इंडिया शान।। २६

क्या खोया क्या पा लिया, भारत करो विचार।
बना दिया क्यों इंडिया, कटुता का बाजार।। २७

-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 487 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
4532.*पूर्णिका*
4532.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*अंगूर (बाल कविता)*
*अंगूर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
एक ताज़ा कलाम _ नज़्म _ आएगा जो आएगा....
एक ताज़ा कलाम _ नज़्म _ आएगा जो आएगा....
Neelofar Khan
चाहे हो शह मात परिंदे..!
चाहे हो शह मात परिंदे..!
पंकज परिंदा
तुम केश तुम्हारे उड़ने दो
तुम केश तुम्हारे उड़ने दो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
Suryakant Dwivedi
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
पूर्वार्थ
HITCLUB là cổng game bài trực tuyến đẳng cấp với trang chủ c
HITCLUB là cổng game bài trực tuyến đẳng cấp với trang chủ c
HIT CLUB
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
कहें किसे क्या आजकल, सब मर्जी के मीत ।
sushil sarna
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
Ravi Betulwala
"किसी ने सच ही कहा है"
Ajit Kumar "Karn"
King of the 90s - Television
King of the 90s - Television
Bindesh kumar jha
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
*प्रणय*
बांदरो
बांदरो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
तेरे मेरे दरमियाँ ये फ़ासला अच्छा नहीं
तेरे मेरे दरमियाँ ये फ़ासला अच्छा नहीं
अंसार एटवी
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
Rituraj shivem verma
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
सुनो मुहब्बत जब नफरत में बदलती है......
सुनो मुहब्बत जब नफरत में बदलती है......
shabina. Naaz
साथियों जीत का समंदर,
साथियों जीत का समंदर,
Sunil Maheshwari
समझ
समझ
अखिलेश 'अखिल'
आपकी आहुति और देशहित
आपकी आहुति और देशहित
Mahender Singh
काश ये
काश ये
हिमांशु Kulshrestha
"गुमान"
Dr. Kishan tandon kranti
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...