भारतीय सेना
” भारतीय सेना” स्वरचित कविता का कुछ अंश
हे भारत,के वीर सपूतों
नमन तुझे मैं करता हूँ।
कृतज्ञ बना हूँ,मैं तो तेरा
चैन अमन से रहता हूँ।।
सीमा के उस पार तो दूश्मन
तो कुछ वतन के अन्दर है।
सीमा वाले मार गिराये
अंदर वाले छूमंतर है।।
गद्दारों से ये देश भरा है
नेता बनके वो खड़ा है।।
पहचान करो उस, विष नर को
विनय मैं तुझसे करता हूँ।
कृतज्ञ बना हूँ,मैं तो तेरा
चैन अमन से रहता हूँ।।
आर्यावर्त की पावन धरती
जहां सुदर्शनधारी आये ।
संहार किये सब दुष्टों को
जो जो अत्याचारी आये।।
बनो सुदर्शनधारी तुम भी
वतन ये तुमसे कहती हैं।
गद्दारों के गद्दारी से अब
भारत माता रोती है।।
दहशतगर्दों की,अब ये दहशत
सहन न अब,मैं कर सकता हूँ।
कृतज्ञ बना हूँ मैं तो तेरा
चैन अमन से रहता हूँ।।
“मायाकान्त झा”(अमित कुमार झा)