Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2020 · 3 min read

भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर करारा प्रहार करती है पुस्तक “कब तक मारे जाओगे”

पुस्तक ‘कब तक मारे जाओगे’ युवा कवि नरेंद्र वाल्मीकि द्वारा सम्पादित दूसरा काव्य संग्रह है। इससे पूर्व वे “व्यवस्था पर चोट” नामक एक अन्य काव्य संग्रह भी सम्पादित कर चुके हैं। नरेंद्र वाल्मीकि को मैं लगभग पिछले पंद्रह सालों से जानता हूँ। यह सन् 2007 की बात है, तब मैं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर, मेरठ में एम०फिल इतिहास विषय का छात्र था तब नरेंद्र मुझे खोजते हुए इतिहास विभाग में आए और मुझसे मिले। वे उस समय छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे तभी से मेरा उनका मिलना अक्सर होता रहा तथा साहित्य एवं समाज के प्रति मेरे और उनके समान लगाव के कारण ही मेरी और उनकी अभी तक अच्छी मित्रता हैं।

नरेंद्र एक अच्छे कवि व लेखक होने के साथ-साथ एक संवेदनशील व्यक्ति भी है। पुस्तक “कब तक मारे जाओगे’ का प्रथम संस्करण वे किन्हीं कारणों से वे मुझ तक पहुँचा न सके इस बीच लगभग दो-तीन महीने का समय भी बीत चुका था और मैं भी उनसे कुछ नाराज था कि वे मुझे पुस्तक क्यों नहीं भेज पाए तब तक पुस्तक का दूसरा संस्करण भी आ चुका था। पुस्तक को वे अब तक मुझ तक पहुँचाना टाल न सके और जैसे ही पुस्तक प्रकाशक ने सहारनपुर भेजी नरेंद्र जी स्वयं पुस्तक भेंट करने मेरे घर आए वास्तव में यह उनकी संवेदनशीलता और कर्तव्य का ही प्रकटीकरण हैं।

मैं भी पुस्तक “कब तक मारे जाओगे” को पढ़ने के बाद इस पर अपनी राय व्यक्त करने से अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूँ। साफ-सफाई का कार्य पूरी दुनिया में किया जाता है, सफाई कर्मचारी भी पूरी दुनिया में पाए जाते हैं लेकिन किसी जाति विशेष का यह कार्य है। यह सोच और व्यवस्था केवल भारत में ही प्रचलित है। साफ-सफाई का कार्य भारत में केवल एक जाति विशेष से ही कराया जाता है। “कराया जाता है” मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि हिंदू धर्म ग्रंथों में विशेषतः यह उल्लेख है कि यह कार्य एक जाति विशेष के लोग ही करे। हजारों सालों से एक जाति विशेष के लोग ही यह कार्य करते आए हैं। इस कार्य से इन लोगों का जीवन यापन तो होता रहा लेकिन इतने महत्वपूर्ण कार्य को करते रहने के बावजूद भी इन लोगों की न तो आर्थिक स्थिति में ही कोई विशेष बदलाव हो सका और सामाजिक स्थिति में भी ज्यादा बदलाव न हो पाया। शायद यही कारण है कि नरेंद्र वाल्मीकि को सभी सफाई कर्मचारियों की व्यथा पर यह काव्य संग्रह प्रकाशित कराना पडा़।

संग्रह में बारह राज्यों के बासठ कवियों की लगभग सौ कविताएँ हैं। अलग-अलग राज्यों से तथा कवियों के अलग जाति/वर्ग का होने के कारण सफाई कामगार जातियों के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति उनके अनुभव भी अलग है जिसका प्रतिबिंब इन कविताओं में आया है। सफाई कामगार जातियों की समस्याओं पर अपनी तरह का यह पहला काव्य संग्रह है। यह पुस्तक निश्चित रूप से सफाई कामगार जातियों के उत्थान मे मिल का पत्थर साबित होगी। नरेंद्र वाल्मीकि को इस अति महत्वपूर्ण कार्य को प्रकाश में लाने के लिए हार्दिक बधाई।

पुस्तक : कब तक मारे जाओगे
सम्पादक : नरेंद्र वाल्मीकि
प्रकाशक : सिद्धार्थ बुक्स शाहदरा, दिल्ली। पृष्ठ : 240, मूल्य : ₹150

समीक्षक : डॉ. प्रवीन कुमार, सहारनपुर / मो.: 8279893770

1 Like · 1 Comment · 1074 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पाक दामन मैंने महबूब का थामा है जब से।
पाक दामन मैंने महबूब का थामा है जब से।
Phool gufran
सुकून में जिंदगी है मगर जिंदगी में सुकून कहां
सुकून में जिंदगी है मगर जिंदगी में सुकून कहां
कवि दीपक बवेजा
बहुत ही घना है अंधेरा घृणा का
बहुत ही घना है अंधेरा घृणा का
Shivkumar Bilagrami
वो कपटी कहलाते हैं !!
वो कपटी कहलाते हैं !!
Ramswaroop Dinkar
सीख गुलाब के फूल की
सीख गुलाब के फूल की
Mangilal 713
एक दिवस में
एक दिवस में
Shweta Soni
पल्लवित प्रेम
पल्लवित प्रेम
Er.Navaneet R Shandily
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
Shyam Sundar Subramanian
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
Ravikesh Jha
प्यार और धोखा
प्यार और धोखा
Dr. Rajeev Jain
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
कान्हा तेरी मुरली है जादूभरी
कान्हा तेरी मुरली है जादूभरी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
बड़ी मुद्दतों के बाद
बड़ी मुद्दतों के बाद
VINOD CHAUHAN
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्यार के मायने
प्यार के मायने
SHAMA PARVEEN
*बदल सकती है दुनिया*
*बदल सकती है दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
यूँ तो सब
यूँ तो सब
हिमांशु Kulshrestha
"कथरी"
Dr. Kishan tandon kranti
आवाज़
आवाज़
Dipak Kumar "Girja"
एक ही रब की इबादत करना
एक ही रब की इबादत करना
अरशद रसूल बदायूंनी
*ईख (बाल कविता)*
*ईख (बाल कविता)*
Ravi Prakash
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
यक़ीनन खंडहर हूँ आज,
यक़ीनन खंडहर हूँ आज,
*प्रणय*
पल पल है जिंदगी जिले आज
पल पल है जिंदगी जिले आज
Ranjeet kumar patre
हरि हृदय को हरा करें,
हरि हृदय को हरा करें,
sushil sarna
कोई जोखिम नहीं, कोई महिमा नहीं
कोई जोखिम नहीं, कोई महिमा नहीं"
पूर्वार्थ
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
सोहर
सोहर
Indu Singh
2901.*पूर्णिका*
2901.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...