भारतीय समाज
मुफ्त की रोटी मुफ्त का ज्ञान,
स्वास्थ्य सुरक्षा न्याय विधान।
मुफ्तखोर नागरिक बनाकार,
चिल्लाओ भारत देश महान।।
बाप तोड़ता परिवारों को,
देश को तोड़े अब्बू जान।
फादर करते जिस्म का धंधा,
जय हो जै हो हिंदुस्तान।।
भाई भाई से सत्य न बोले,
आतंकी हो गए भाई जान।
सिखों को खालिस्तान चाहिए,
ऐ कैसा सुंदर हिंदुस्तान।।
परिवारों में फुट डालकर,
तोड़ रहे ये सर्व समाज।
दलाल माफिया नेता बनकर,
लूट रहे हैं देश को आज।।
कौन कहेगा सच की बातें,
सबको चाहिए महल मकान।
सच सुनना है भाता किसको,
भाड़ में जाए हिंदुस्तान।।
है समाज की जिम्मेदारी,
दे वो सच्चे वीर जवान।
नव निर्माण राष्ट्र का करना,
हो समाज का लक्ष्य महान।।
यदि समाज ही बंट जाएगा,
कौन करेगा राष्ट्र गुणगान।
सर्वशक्ति निहित समाज बंटा तो,
बंट जाएगा हिन्दुस्तान।।
कुंभकर्ण की निद्रा त्यागो,
हे भारत के पूत महान।
तेरी जय से ही होगा,
जै जै जै जै हिन्दुस्तान।।