भारतीय लोकतान्त्रिक चुनाव प्रणाली में युवाओं की भूमिका
भारतीय लोकतान्त्रिक चुनाव प्रणाली अर्थात जनता का ,जनता द्वारा, जनता के लिए शासन!! किन्तु आज हमारे जनप्रतिनिधि अपने “मन के प्रतिनिधि” बनकर अपने स्वार्थ साधन में लगे हुए है! ये तो सत्ता की लोलुपता में भारत मां को भी
जाति ,धर्म ,संप्रदाय और भाषा के नाम पर बांट दे!! किन्तु अच्छी बात ये भी है कि आज भारत में लगभग ६०% आबादी युवा है..अतः भारत को युवा देश कहना गलत नहीं होगा.. युवा कौन_??
हमारे देश में जो विचारवान है, जिसका मस्तिष्क नित्य नए नूतन विचारो से ओतप्रोत है,जिसके भुजदण्ड अन्याय ,अत्याचार और पाप को देखकर फड़क उठे वह युवा है,जिसमें अग्नि -सा तेज और वायु सा वेग है वह युवा है..जिसके हृदय में करुणा का सागर है.वह युवा है.!!!
..और यह ६०% युवा तब १ बड़ी ताकत में बदल जाते हैं जब देश चलाने की या उसका कुशल नेतृत्वकर्ता चुनने की बात हो उठती है..आज परिस्थितियां इतनी विकट है कि केव ल युवा मतदाता ही रूढ़िवादी,सांप्रदायिक,और जातीय सोच से ऊपर उठकर ,पुरानी कुंठाओ से मुक्त होकर नवीन प्रगतिशील विचारो को महत्व दे सकता है…
भारतीय लोकतंत्र चुनाव प्रणाली में युवाओं की भूमिका पर इस विषय पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि जब हम युवा शक्ति की बात करते है तो हम कौन से युवाओं की बात कर रहे है??
वो युवा जो नौकरी के लिए दर दर भटक रहा है|
वो युवा जो तनाव में आकर आत्महत्या को गले लगा रहा है। या
वो युवा जो देश छोड़कर विदेशो में धन कमाने जा रहा है।
वो युवा जो भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रहा है।
वो युवा जो इंटरनेट और सोशल मीडिया गिरफ्त में है!!
वो युवा जो कभी ३माह तो कभी ३ साल तो कभी निर्भया के बलात्कार में लिप्त है!!
वो युवा जो साक्षर तो है पर शिक्षित नहीं..संस्कारित नहीं
यदि नहीं…… तो फिर वो कोन सा युवा है?? जो
देश की भूमिका बदलेगा??
देश का युवा जिस प्रकार मतवाले हाथी की भांति अपनी धुन में मदमस्त है..उसे इस आत्म नाशक
संस्कृति से बाहर आना होगा..उसे देश के सहारे आगे बढ़ने के बजाय खुद के दम पर देश को आगे बढ़ाने की क्षमता को उभारना होगा…और यह संभव है।। क्यूंकि यदि वह निश्चित करले तो कुछ भी कर गुजर सकता है…
केवल वही युवा जो खुद से पहले देश को रखे अपने मताधिकार का सर्वथा उचित उपयोग कर सकने में सक्षम होगा…
वरना तो मताधिकार केवल बिना तर्क के किसी विचारधारा से प्रेरित हो बटन दबाने का काम रह जाएगा।।