भारतीय रेल यात्रा (एक व्यंग्यात्मक यात्रा संस्मरण )
रात्रि के प्रथम प्रहर में, लखनऊ स्टेशन से रेल गंतव्य की ओर प्रस्थान करती है । रेल द्रुत गति से आगे बढ़ती है , कोच के कुछ यात्री वार्तालाप में व्यस्त हैं , कुछ हंसी –ठहाकों में । रेल की गति मे ठहराव आ रहा था , रेल रुकी, पानी वाले , चाय वाले वेंडर दौड़ –दौड़ कर चाय व पानी बिक्रय करने लगते हैं । ग्रीष्म ऋतु में यात्रियों की सुविधा हेतु कुछ स्वयं सेवी निशुल्क जल का वितरण करते हैं , कुछ असामाजिक तत्व उक्त सुविधा की आड़ में आपराधिक गतिविधियों को कारित करते हैं । कोच के सभी यात्रियों ने निश्चिंत होकर इस निशुल्क पेयजल का सेवन किया , और यात्रीगण निद्रा के आगोश में जाने की तैयारी करने लगे ।
अचानक पीछे की बर्थ से एक महिला की चीख सुनाई देती है , साथ ही चोर –चोर की आवाज भी । रेल की मंथर गति का लाभ उठा कर चोर, महिला के गले की सोने की चेन खींच कर भागा था । अविलंब सुरक्षा कर्मी, टार्च के प्रकाश में अंधकार को चीरते हुए उक्त महिला के पास पहुंचे , यात्री इस घटना से घबरा गये थे ।सुरक्षा कर्मियों ने सभी को सांत्वना देकर शांत कराया , व एफ आई आर दर्ज कर कार्यवाही को आगे बढ़ाया।
प्रात : कुछ रेल यात्री अपने गंतव्य स्टेशन पर उतर गये , कुछ नए यात्रियों ने उनकी जगह स्थान ग्रहण कर लिया । कुछ यात्री प्रयागराज स्थित इलाहाबाद विश्व विद्यालय के छात्र थे । इलाहाबाद विश्व विद्यालय अपने शिक्षण के उच्च स्तर व विद्वता के लिए प्रसिद्ध है । छात्र देश की वर्तमान अर्थ व्यवस्था पर बहस कर रहे थे । छात्रों के विमर्श का दायरा बढ़ कर राजनीति में व्याप्त भ्रस्टाचार , नैतिक गिरावट , जनता के शोषण , राज कोषों के दुरपयोग पर आ पहुंचा ।
अचानक उक्त छात्रों का ध्यान एक नेता जी पर गया। एक छात्र ने हिम्मत करके नेता जी का अभिवादन किया , नेता जी छात्र के विनम्र व्यवहार से प्रभावित हुए , परस्पर दोनों में वार्तालाप होने लगा , अनायास उक्त छात्र ने, एक कटु लेकिन सत्य प्रश्न पूछ लिया । प्रश्न सुन कर नेता जी अवाक रह गये ,
छात्र ने पूछा –नेता जी आप अपने चेलों के साथ रेल यात्रा कर रहे हैं , तो आप सच बतायें कि आप सब लोग टिकिट लिए हैं , या बेटिकट है ?
नेता जी इस अप्रत्याशित प्रश्न से हतप्रभ रह गये , छात्र ने हंस कर कहा , हम तो जानकारी के लिए पूछ रहे थे , काहे की आजकल नेता सब टिकिट लेने में विश्वास नहीं करते हैं ।
नेता जी ने संयत होकर जबाब दिया –हमको जनता वोट देकर चुनती है , हम आम जनता से अलग हैं , टिकिट कटाना जनता का उत्तरदायित्व है , अगर हम टिकिट कटा कर यात्रा करें तो हम और आम जनता में अंतर क्या रह जाएगा ।
छात्र ने तर्क किया -, जनता अपनी गाढ़ी कमाई से टैक्स भरती है , आय कर चुकाती है । किन्तु उस राजस्व के दुरपयोग में आप सब बराबर के भागीदार हैं । क्यों ?
नेता जी बचाव की मुद्रा में आ गये ।
हंस कर छात्र ने कहा –नेता जी आप लोग नीतियाँ क्या अपने लाभ के लिए बनाते हैं ।
नेता जी ने कहा – भाई आप बहुत मज़ाकिया हो ।
छात्र भी उनकी हंसी में शामिल हो गया था।
“डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव”, सीतापुर ।