भारतीय किसान
भारतीय किसान
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हमारे देश का किसान
जीवन पर्यंत
हाँड़ तोड़ श्रम करता है,
कभी बाढ़ कभी सूखे से जूझता है,
डीजल, खाद,बीज के लिए भी
संघर्ष करता है।
मंहगाई की मार
बड़ी बेबसी से सहता है,
सब कुछ सहकर भी
खेती किसानी से नेह ही रखता है।
इतना ही होता तो भी ठीक था,
दिन,रात,धूप,गर्मी,जाड़ा,बरसात
हर मौसम में खटता है,
फिर भी श्रम की बात क्या करें?
अपने उत्पादन का भी
उचित मूल्य नहीं पाता है।
ऊपर से बिचौलियों का
आये दिन शिकार होता है,
अपने उत्पाद बेचने की खातिर
क्या क्या नहीं सहता है?
इतना सब होकर भी
नेताओं की कोरी घोषणाओं का भी
शिकार बनता है।
बेबसी लाचारी के बीच
परिवार की जिम्मेदारी भी
बेचैन करती है,
बहुत से किसानों को
आत्महत्या के लिए
मजबूर कर भी करती है।
ऐसे में अब सरकार को
कुंभकर्णी नींद से
जागने की
अपने किसानों की समस्याओं को
महसूस करने,समझने की
बहुत जरूरत है।
डीजल, खाद,बीज को
सस्ता और सुगमता से
उपलब्ध कराने की जरुरत है,
उनकी और उनके परिवार की
जरूरतों को भी समझने
उनकी मूलभूत समस्याओं को भी
हल किये जाने की जरूरत है,
उनके उत्पादों/श्रम का उचित मूल्य
उनका अधिकार है,
उन्हें कोरे आश्वासन नहीं
उनके उत्पादों का उचित मूल्य देना,
सरकारी घोषणाओं पर ईमानदारी से अमल करना भी जरूरी है।
देश का किसान
जब खुशहाल होगा,
खेती से तब उसका
मोहभंग नहीं होगा।
तभी राष्ट्र सुख समृद्धि के साथ
गर्व से सीना तानकर
गौरव महसूस कर सकेगा।
©सुधीर श्रीवास्तव