” भारतक उत्थान “
डॉ लक्ष्मण झा”” परिमल ”
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आदि युगें सं जे विश्व मे ,
बंटैत रहल ज्ञान !
हाय ! ओतहि पसरि रहल ,
सबतरि अज्ञान !!
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एतबो नहि कियो बुझैछ ,
भारत मे अछि प्रजातंत्र !
जनमत सं चलि सकैछ ,
केवल सब तंत्र –मंत्र !!
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आपस केर भेद- भाव ,
यावत नहि तोड़ी सकब !
इतिहासक टूटलता ,
कडियों नहि जोड़ी सकब !!
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आऊ मीलि हम सब तें ,
छोडि निज तुच्छ मान !
तइखन त भऽ सकैछ,
भारतक उत्थान !!
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डॉ लक्ष्मण झा”” परिमल ”
दुमका